इंतजार उग गया ...
पाती आई वृंदावन से
श्याम नैक दिनन कू आ जाओ
झूटे ही कह दो आवन की
तनि तो धीर बंधा जाओ !
नयन है गये सावन भादों
फिर भी मधुबन सुख गये
नैनन मैं "इंतजार उग गयो "
पर फूल एकऊ नाय उगे !
यमुना बंधी नाव बोलत है
राधे क्यों इकली डोल रही
आओ श्याम बुलालौ तनि को
भ्रमण करा लाऊ कहीं !
डर के मारे घर ना जाऊं
मात यशोदा पूछेगी
कान्हा को सन्देशों आयो
इतना कह वो रो देगी !
सुना पनघट तोहे उडीके
घट फूटन को तय्यार रखे
कांकर पाथर चुन चुन रखे
कोई आकर इनको मारे !
गय्या भी कम दूध देत है
चारों भी कम खाय रही
मूक पशु कैसे मुख बोले
इंतजार मैं विकल भई !
सारे वादे झूटे निकले
बस ये गयो और ये आयो
तेरो " ये " कितनों लम्बो है
बरस बीते पुरो ना भयो !
हिय कागज मसि काजर किन्हीं
जाने का का लिख डालो
थोड़े को बहुत समझना कान्हा
इंतजार मैं ...............
राधे तुम्हारी ! 👀
वाहः बहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह!!बहुत सुंदर !!
ReplyDeleteउम्दा
ReplyDeleteखैर
उत्क्रष्टता को प्राप्त लाजवाब रचना
ReplyDeleteसभी का आभार
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