में में .... में में ही करता रहा में में ही किये जाय इसी में के कारणे में ही काटा जाये ! में ही में को ढूंढता मैं को में की प्यास में हटे तब ही मिटे में मैं की ये प्यास ! में में करें क्या होत है चाहे जितना मिमियाओ में का कोई तर्पण नहीं में अर्पण कर में पाओ ! डा इन्दिरा ✍